Friday, July 6, 2012

हमेशा के लिए स्तुति से दूर चली गई आराधना


बैतूल। 23 डॉक्टरों की 12 घंटे की आराधना अधूरी रह गई। गुरुवार रात 9:20 बजे पाढर अस्पताल में आराधना की मौत हो गई। उसे दिन में दो बार दिल का दौरा भी पड़ा था। 20 जून को उसे और स्तुति को ऑपरेशन कर अलग किया गया था। दोनों जन्म से पेट से जुड़ी हुई थीं। अभी 2 जुलाई को ही दोनों ने पहला जन्मदिन मनाया था। स्तुति सेहतमंद है।

ऑपरेशन के बाद से ही आराधना की हालत नाजुक थी। बीच में हालत कुछ सुधरी। वेंटीलेटर से भी हटाया गया था। लेकिन सेप्टीसीमिया के कारण सेहत फिर बिगड़ गई। बुधवार को खून में संक्रमण की शिकायत आई थी। दोपहर 3 से 5 बजे के बीच दो बार कार्डियक अरेस्ट जैसी स्थिति बनी। डॉक्टरों ने भरसक कोशिश की, लेकिन सुधार नहीं हुआ। रात ९: 20 बजे अराधना ने दम तोड़ दिया।

एक साल तीन दिन के संघर्ष, आशा व निराशा की दास्तां
- 2 जुलाई 2011 को चिचोली ब्लॉक के चूड़िया गांव के हरिराम यादव की पत्नी माया ने एक-दूसरे से जुड़ी बेटियों को जन्म दिया।
-अस्पताल में प्रसव और बच्चों के 8 दिन के उपचार का बिल अधिक होने के कारण हरिराम 10 जुलाई को दोनों बेटियों को अस्पताल के भरोसे छोड़कर चला गया।
-11 जुलाई 2011 को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने खर्च की जिम्मेदारी लेने की घोषणा की। इसके बाद पाढर अस्पताल प्रबंधन ने भी इलाज के लिए तैयारी शुरू कर दी।
-20 जून 2012 को स्तुति और आराधना का देश और विदेश के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने 10 घंटे में सफल ऑपरेशन किया।
-21 जून को ऑपरेशन के बाद 72 घंटों के लिए दोनों बहनों को पीआईसीयू में रखा गया।
-स्तुति तो तंदुरुस्त रही लेकिन आराधना की स्थिति नाजुक बनी रही।
-पहले बुखार, सेप्टिसीमिया की बीमारी और 5 जुलाई को कार्डियक अरेस्ट होने के बाद उसने रात 9.20 बजे आखिरी सांसें ली।
 

source: bhaskar

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